#OpenPoetry कण-कण में जिसके शोर्य है, हर पत्थर में वीरता समाई है। जिसमें जन्मा था बाबु सुभाष, हमने वो जन्म भूमि पाई है।। जन्मों जन्मों के पुण्य लगे होंगे, तब मां भारती मेरे हिस्से आई है। भगतसिंह लटक गया था फंदा, तब जाकर मैंने आजादी पाई है।। जब टूट रहा था पोरूष मनोबल, तब जा लड़ी मर्दानी लक्ष्मीबाई है। यूं ना दूषित करो फिजा यहां की, जहां चन्द्रशेखर ने गोलीयां खाई है।। हिन्दी-उर्दू के बेटों ने दी है बलिदानी, तब जाके ये आज़ाद सुगंध आई है।। #OpenPoetry #Aazadi #Azadi #IndependenceDay