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काहू कौ मांखन चाखि गयौ अरु, काहू कौ दूध दही ढरकायौ

काहू कौ मांखन चाखि गयौ अरु,
काहू कौ दूध दही ढरकायौ
काहू कौ चीर लै रुख चढ़्यौ अरु,
काहू कौ गुंजछरा छहरायौ
मानें नहीं बरजै रसखानि,
सुजानियै राज़ इन्है घर आयौ
आउरी बूझें जसोमति सों,
यह छोरा जायौ कि भई उपजायौ !! हाबु तो तुच्छ बहाना है
माखन मिश्री मंगाना है

कान्हा की चालाकियाँ सारी मैय्या के समझ में आवत है
माँ तो माँ होती है, किसी की हो, मना कहाँ कर पावत है

बोलिए राधेकृष्ण
             🙏
काहू कौ मांखन चाखि गयौ अरु,
काहू कौ दूध दही ढरकायौ
काहू कौ चीर लै रुख चढ़्यौ अरु,
काहू कौ गुंजछरा छहरायौ
मानें नहीं बरजै रसखानि,
सुजानियै राज़ इन्है घर आयौ
आउरी बूझें जसोमति सों,
यह छोरा जायौ कि भई उपजायौ !! हाबु तो तुच्छ बहाना है
माखन मिश्री मंगाना है

कान्हा की चालाकियाँ सारी मैय्या के समझ में आवत है
माँ तो माँ होती है, किसी की हो, मना कहाँ कर पावत है

बोलिए राधेकृष्ण
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