सवेरा मैं देर तक सोता रहा, सूरज दुनियाँ को उजाला दे गया। किसी को ख्वाहिश, मकसद, मंजिल, किसी को खुशियों का प्याला दे गया। मैं देर तक सोता रहा...... मैंने भी सपनें देखे थे अपनी जिंदगी में, फिर वो मुझे क्यों दर्द, गम,मुसीबतें, दिलो में नफ़रतों की सौगात दे गया। मैं देर तक सोता रहा........ हमने पूछा अपनी असफलता का राज, उसने मुस्कुरा कर कहा मुझसे पहले जागों। बनों सिकन्दर और करो दुनियाँ पर राज। मैं देर तक सोता रहा....... शुभभ जैन"सिध्द" Ritika Suryavanshi writer