एक नन्हा सा बालक खड़ा देख रहा नभ तारों को गिनते हुए निहार रहा चंद्र कुछ ख्वाबे वो देखने लगा बंद कर अपने नयन दुनिया से हो बेखबर वो छूने चला चंद्र मन के फंख लगाए वो उड़ चला आसमान मे दो हाथो से पकड़ के चाँद ले आया अपने आँगन मे बच्चे के हाथ मे देख चाँद मा घबरा के आई कहाँ से लाया ये चाँद पूछ ये फटकाई बच्चे ने उल्लास से कहा कुछ भी नामुमकिन नही ज़ब मन लेता हैँ ठान अपने होशलो के उड़ान से मैं ले आया ये चाँद वैष्णवी माला 07/12/2022 ©vaishnavi Mala बच्चे के हाथो मे चाँद