खामोशी के इस शहर में कुछ सपने देखे हैं अपनों संग नहीं किसी और के संग देखे हैं सपना देखा है जीवन का हर डगर डगर सुहाना बस जाऊं उस शहर संग उसके यही जीवन का है लक्ष्य पाना कि लगता है जीवन का हर सपना पूरा होगा खुली रही आंखें मेरी तो हर पल अपना पूरा होगा जो बंद हो गई आंखें तो सपना टूट जाएगा खामोशी के शहर में पंछी अपना कोई रूठ सा जाएगा तो खुली रही आंखें मेरी सपनों के इस लहर में बस जाऊं संग उसके खामोशी के इस शहर में । खामोशी के शहर में..