है डूब रही नाव ये संभालो भोलेनाथ बचालो भोलेनाथ....बस आपका सहारा है कठिनाईयों में हूँ मुझे निकालो भोलेनाथ, बचालो भोलेनाथ....बस आपका सहारा है दुनिया में चारों ओर घना पाप का साया है चारों तरफ़ जाल लुटेरों ने बिछाया है चेहरे पे चेहरा यहाँ लोगों ने सजाया कुछ समझ न आता है कौन अपना-पराया अब इस फ़रेबी दुनिया से निकालो भोलेनाथ बचालो भोलेनाथ....बस आपका सहारा है जो तुमने बनाई थी वो दुनिया नहीं रही लोगों में पहले जैसी खूबियां नहीं रही भाई है यहाँ भाई का दुश्मन बना हुआ राम-लखन सी कलयुग में जोड़ियाँ नहीं रहीं मोह-माया के इस जाल से निकालो भोलेनाथ बचालो भोलेनाथ....बस आपका सहारा है दुनिया को कई बार बुराई से बचाया विष पीके आपने ही तबाही से बचाया कई लोग मर गए यहाँ कोरोनकाल में पीयुष को आपने ही बीमारी से बचाया दुनिया से महामारी को भगादो भोलेनाथ बचालो भोलेनाथ... आपका सहारा है --प्रशान्त मिश्रा बचालो भोलेनाथ! बस आपका सहारा है