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शाम की चंचलता और सुबह की सादगी सी, वो रोज की चाय

शाम की चंचलता और सुबह की सादगी सी, 
वो रोज की चाय की सी तलब है तुम्हारी।
जरा ठहर के जाया करो, 
आंखों को बहुत जरूरत है तुम्हारी।

©Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
  #DhakeHuye#तलब