मन तो हमारा भी करता है,जाने को पाठशाला.. कौन फिरना चाहता है,इन गलियों मे... थक चुके नन्हे हाथ कूड़ा-कचरा बीन-बीन के, अमीर लोग देखते है बडी हैरानी से हमे..! क्या गरीब इन्सान नही होते?? खा लेते है रूखा-सुखा, और आता है कोई मेहमान तो पलको पे बिठा लेते है,,, गरीबी जानती है,घर मे बिछौने कम है...!