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शामों का वो महकना... कुछ रंगीन नज़ारे... बेचैन सा

शामों का वो महकना...
कुछ रंगीन नज़ारे...
बेचैन सा कर गए मुझे...
तेरे पायल कंगना और झुमके सारे..
लहराती जुल्फें लचकती कमर....
वो छोटी सी बिंदिया और तेरे रस भरे अधर..
तेरी नथुनी और कटीले नैनों के कटार..
आए हाय 
कहर सा ढा गए थे वो नखरे तुम्हारे...

©Shivam Mallick
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