पिता हाेते है ताे सारी दुनियां अपनी हाेती है ना ज़िम्मेदारी का बाेझ ना कल की साेचनी हाेती है पिता हाेते है ताे स्वछंद बचपन बेपरवाह ज़वानी हाेती है दर्रा में भी रस्ता ,और सहरा में भी पानी देते है तपती धूप में भी वाे अपनी छाया से,साया कर देते है सरपरस्त पिता हाे ताे नामुमकिन कुछ भी नहीं ईश्वर के समकक्ष है वाे उस से जरा भी कम नहीं🙏 जब तुम थे ताे खुशियां थी,मस्ती थी कुछ भी,थाेड़ा और.. पा लेने की ख्वाहिश थी आस्मां की उड़ान थी धरा से भी पहचान थी सपनाें पर पांबदी ना थी पूरी करने काे ज़रूरते