सूरज की आभा को देखकर एक बेटी अपने पिता से कहती है: नीले व्योम पे जैसे मार्तण्ड है प्रचंड, मुझे भी अपना किरदार चमकाना है, उड़ना चाहती हूं देदो मुझे भी पंख, बेटी है अभिमान यह यकीन दिलाना है, ना जकड़ना मुझे शादी की जंजीरों में, मुझे अपना अस्तित्व बनाना है, मेरे सपनों को दे उड़ान, मुझे इस कहकशाँ में बेटीयों को घमंड बनाना है। Collab challenge Time - 8/2/21 (7:00pm) Line - 1to 5 #ayushgupta20 #iamwriter20 #मेरे सपनों #YourQuoteAndMine Collaborating with I Am Writer