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ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते ना ईद की अलामत,

ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते

ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते 


.......काश कोई धर्म ना होता 

.......काश कोई मजहब ना होता
manojdev1948

Manoj dev

New Creator

ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते  .......काश कोई धर्म ना होता  .......काश कोई मजहब ना होता

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