बहुत हो गई अपनी झूठी प्रशंसा, कुछ सच्चाई का भी सामना करूं, अगर लायक था, बुद्धिमान था, ज्ञानी था, तो जीवन में खुश क्यों नहीं रहा, अपने-अपनों को खुश क्यों नहीं रखा, क्यों रोता ही रहा और सब को रुलाता ही रहा। मेरा सारा ज्ञान बस सिर्फ दूसरों के लिए था, अपने लिए कुछ भी नहीं! #मंमाधन #brijeshmehta #selfeuology #manmadhan #manjar #मंजर #ज्ञान