शिक्षा और शिक्षार्थ बदल रहा परिदृश्य है चल रहा मनुष्य है, शिक्षा व्यापार बन रहा अरे! क्या दृश्य है। विद्यालयों में शिक्षा ही हाशिये पर जा चुकी, सभ्यता संस्कृति नैतिक मूल्यता प्राण गवा चुकी। शिक्षा और शिक्षार्थ समय के अनुसार बदल चुका, वर्तमान परिस्थितियों में विष बनकर ढल चुका। बस प्रतिद्वंद्विता चल रही कोई तो सुधारक बनें शिक्षक साधारण सही किंतु मार्ग निर्धारक बनें। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #yourquotedidi #yqdidi #yqbaba #कविता #आशुतोष_अंजान #शिक्षार्थी