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निला बड़ी भाग्यशाली है, चार-चार लड़के जने हैं तूने

निला बड़ी भाग्यशाली है, चार-चार लड़के जने हैं तूने।कोई है जो तुझसे मुकाबला करे जिंदगी की इस दौड में? 
ये सभी बाते निला को उसके संबंधी कहते थे और न जाने क्यों चने के झाड़ पर उसे चढा़ कर आनंद लेते थे। 
निला जो पहले से ही व्यथित थी अपने जीवन में, अपने पति के चल रहे अनैतिक संबंध से परिचित कुछ इस तरह की बातें सुन अपने मन को शायद दिलासा दे देती थी। निला ने अपने ससुराल को ही मन और हृदय से अपना मान लिया था, जैसे भारतीय समाज की हर लड़की करती हैं। सास-ससुर की सेवा में कोई कमी नही रखती थी।पति की अवहेलना के बाद भी समय पर उनका हर कार्य करती थी, इन सभी के बीच निला ने अपने बच्चों पर ध्यान देना कम कर दिया। उसकी सोंच थी मर्द जात को भी कोई देखता है? देखा तो लड़कियों को जाता है, उन्हें समाज की बुरी नज़र से बचाना, घर के काम-काज सिखाना पडता है।समय बीतता गया। निला के चारों लड़के आवारा निकले ।सास-ससुर और पति स्वर्ग सिधार गए। लड़के निला की बिल्कुल नहीं सुनते थे। लडना-झगडना, मदिरापान, जुआ आदि चलता ही रहता था निला के घर अक्सर। अपनी ननद की गोद ली हुई लडकी को जब निला देखती थी ननद की सेवा करते हुए तो अंदर ही अंदर घुटती रहती थी और सोचती थी काश! मेरी भी एक तो लड़की होती।
आज निला बूढ़ी हो गई है, अपने आप पर अपने बच्चों पर ध्यान न देने के कारण वह इस अवस्था में काफी मुश्किलें झेल रही हैं। आगे कि कहानी  caption  में  निला बड़ी भाग्यशाली है, चार-चार लड़के जने हैं तूने।कोई है जो तुझसे मुकाबला करे जिंदगी की इस दौड में? 
ये सभी बाते निला को उसके संबंधी कहते थे और न जाने क्यों चने के झाड़ पर उसे चढा़ कर आनंद लेते थे। 
निला जो पहले से ही व्यथित थी अपने जीवन में, अपने पति के चल रहे अनैतिक संबंध से परिचित कुछ इस तरह की बातें सुन अपने मन को शायद दिलासा दे देती थी। निला ने अपने ससुराल को ही मन और हृदय से अपना मान लिया था, जैसे भारतीय समाज की हर लड़की करती हैं। सास-ससुर की सेवा में कोई कमी नही रखती थी।पति की अवहेलना के बाद भी समय पर उनका हर कार्य करती थी, इन सभी के बीच निला ने अपने बच्चों पर ध्यान देना कम कर दिया। उसकी सोंच थी मर्द जात को भी कोई देखता है? देखा तो लड़कियों को जाता है, उन्हें समाज की बुरी नज़र से बचाना, घर के काम-काज सिखाना पडता है।समय बीतता गया। निला के चारों लड़के आवारा निकले ।सास-ससुर और पति स्वर्ग सिधार गए। लड़के निला की बिल्कुल नहीं सुनते थे। लडना-झगडना, मदिरापान, जुआ आदि चलता ही रहता था निला के घर अक्सर। अपनी ननद की गोद ली हुई लडकी को जब निला देखती थी ननद की सेवा करते हुए तो अंदर ही अंदर घुटती रहती थी और सोचती थी काश! मेरी भी एक तो लड़की होती।
आज निला बूढ़ी हो गई है, अपने आप पर अपने बच्चों पर ध्यान न देने के कारण वह इस अवस्था में काफी मुश्किलें झेल रही हैं। खाने के लिए घर में कभी अन्न भी नहीं रहता है उसके यहाँ। रिश्तेदारों का भी आना-जाना बंद हो गया था। अपने करिबी रिश्तेदार के यहाँ शादी की बात सुन ,निला खुश हो गई और सोचने लगी, अब मैं कुछ दिन तो जरूर उनके घर रहुँगी। अच्छे-अच्छे पकवान खाऊँगी। सभी से सेवा करवाऊँगी। मैने भी तो पहले कितना किया उनसभी के लिए। भारी महँगी साडी के बदले, दो तीन सस्ती साडियाँ माँग लूँगी।निला कि ये सोंच बस सोंच रह गई और उसे कोई न्यौता तक नहीं मिला। आज निला बीमार है और उसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं। 
राशन की दुकान पर मिलने वाले मोटे चावल कोई दे जाता है उसे। वही बनाकर एक समय खा लेती है और सोंचती है कि जिंदगी जीने में किन किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए।।। 
#aestheticthoughts #ANKbyAT #हिंदीदिवस  #paidstory
निला बड़ी भाग्यशाली है, चार-चार लड़के जने हैं तूने।कोई है जो तुझसे मुकाबला करे जिंदगी की इस दौड में? 
ये सभी बाते निला को उसके संबंधी कहते थे और न जाने क्यों चने के झाड़ पर उसे चढा़ कर आनंद लेते थे। 
निला जो पहले से ही व्यथित थी अपने जीवन में, अपने पति के चल रहे अनैतिक संबंध से परिचित कुछ इस तरह की बातें सुन अपने मन को शायद दिलासा दे देती थी। निला ने अपने ससुराल को ही मन और हृदय से अपना मान लिया था, जैसे भारतीय समाज की हर लड़की करती हैं। सास-ससुर की सेवा में कोई कमी नही रखती थी।पति की अवहेलना के बाद भी समय पर उनका हर कार्य करती थी, इन सभी के बीच निला ने अपने बच्चों पर ध्यान देना कम कर दिया। उसकी सोंच थी मर्द जात को भी कोई देखता है? देखा तो लड़कियों को जाता है, उन्हें समाज की बुरी नज़र से बचाना, घर के काम-काज सिखाना पडता है।समय बीतता गया। निला के चारों लड़के आवारा निकले ।सास-ससुर और पति स्वर्ग सिधार गए। लड़के निला की बिल्कुल नहीं सुनते थे। लडना-झगडना, मदिरापान, जुआ आदि चलता ही रहता था निला के घर अक्सर। अपनी ननद की गोद ली हुई लडकी को जब निला देखती थी ननद की सेवा करते हुए तो अंदर ही अंदर घुटती रहती थी और सोचती थी काश! मेरी भी एक तो लड़की होती।
आज निला बूढ़ी हो गई है, अपने आप पर अपने बच्चों पर ध्यान न देने के कारण वह इस अवस्था में काफी मुश्किलें झेल रही हैं। आगे कि कहानी  caption  में  निला बड़ी भाग्यशाली है, चार-चार लड़के जने हैं तूने।कोई है जो तुझसे मुकाबला करे जिंदगी की इस दौड में? 
ये सभी बाते निला को उसके संबंधी कहते थे और न जाने क्यों चने के झाड़ पर उसे चढा़ कर आनंद लेते थे। 
निला जो पहले से ही व्यथित थी अपने जीवन में, अपने पति के चल रहे अनैतिक संबंध से परिचित कुछ इस तरह की बातें सुन अपने मन को शायद दिलासा दे देती थी। निला ने अपने ससुराल को ही मन और हृदय से अपना मान लिया था, जैसे भारतीय समाज की हर लड़की करती हैं। सास-ससुर की सेवा में कोई कमी नही रखती थी।पति की अवहेलना के बाद भी समय पर उनका हर कार्य करती थी, इन सभी के बीच निला ने अपने बच्चों पर ध्यान देना कम कर दिया। उसकी सोंच थी मर्द जात को भी कोई देखता है? देखा तो लड़कियों को जाता है, उन्हें समाज की बुरी नज़र से बचाना, घर के काम-काज सिखाना पडता है।समय बीतता गया। निला के चारों लड़के आवारा निकले ।सास-ससुर और पति स्वर्ग सिधार गए। लड़के निला की बिल्कुल नहीं सुनते थे। लडना-झगडना, मदिरापान, जुआ आदि चलता ही रहता था निला के घर अक्सर। अपनी ननद की गोद ली हुई लडकी को जब निला देखती थी ननद की सेवा करते हुए तो अंदर ही अंदर घुटती रहती थी और सोचती थी काश! मेरी भी एक तो लड़की होती।
आज निला बूढ़ी हो गई है, अपने आप पर अपने बच्चों पर ध्यान न देने के कारण वह इस अवस्था में काफी मुश्किलें झेल रही हैं। खाने के लिए घर में कभी अन्न भी नहीं रहता है उसके यहाँ। रिश्तेदारों का भी आना-जाना बंद हो गया था। अपने करिबी रिश्तेदार के यहाँ शादी की बात सुन ,निला खुश हो गई और सोचने लगी, अब मैं कुछ दिन तो जरूर उनके घर रहुँगी। अच्छे-अच्छे पकवान खाऊँगी। सभी से सेवा करवाऊँगी। मैने भी तो पहले कितना किया उनसभी के लिए। भारी महँगी साडी के बदले, दो तीन सस्ती साडियाँ माँग लूँगी।निला कि ये सोंच बस सोंच रह गई और उसे कोई न्यौता तक नहीं मिला। आज निला बीमार है और उसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं। 
राशन की दुकान पर मिलने वाले मोटे चावल कोई दे जाता है उसे। वही बनाकर एक समय खा लेती है और सोंचती है कि जिंदगी जीने में किन किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए।।। 
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ashagiri4131

Asha Giri

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निला बड़ी भाग्यशाली है, चार-चार लड़के जने हैं तूने।कोई है जो तुझसे मुकाबला करे जिंदगी की इस दौड में? ये सभी बाते निला को उसके संबंधी कहते थे और न जाने क्यों चने के झाड़ पर उसे चढा़ कर आनंद लेते थे। निला जो पहले से ही व्यथित थी अपने जीवन में, अपने पति के चल रहे अनैतिक संबंध से परिचित कुछ इस तरह की बातें सुन अपने मन को शायद दिलासा दे देती थी। निला ने अपने ससुराल को ही मन और हृदय से अपना मान लिया था, जैसे भारतीय समाज की हर लड़की करती हैं। सास-ससुर की सेवा में कोई कमी नही रखती थी।पति की अवहेलना के बाद भी समय पर उनका हर कार्य करती थी, इन सभी के बीच निला ने अपने बच्चों पर ध्यान देना कम कर दिया। उसकी सोंच थी मर्द जात को भी कोई देखता है? देखा तो लड़कियों को जाता है, उन्हें समाज की बुरी नज़र से बचाना, घर के काम-काज सिखाना पडता है।समय बीतता गया। निला के चारों लड़के आवारा निकले ।सास-ससुर और पति स्वर्ग सिधार गए। लड़के निला की बिल्कुल नहीं सुनते थे। लडना-झगडना, मदिरापान, जुआ आदि चलता ही रहता था निला के घर अक्सर। अपनी ननद की गोद ली हुई लडकी को जब निला देखती थी ननद की सेवा करते हुए तो अंदर ही अंदर घुटती रहती थी और सोचती थी काश! मेरी भी एक तो लड़की होती। आज निला बूढ़ी हो गई है, अपने आप पर अपने बच्चों पर ध्यान न देने के कारण वह इस अवस्था में काफी मुश्किलें झेल रही हैं। खाने के लिए घर में कभी अन्न भी नहीं रहता है उसके यहाँ। रिश्तेदारों का भी आना-जाना बंद हो गया था। अपने करिबी रिश्तेदार के यहाँ शादी की बात सुन ,निला खुश हो गई और सोचने लगी, अब मैं कुछ दिन तो जरूर उनके घर रहुँगी। अच्छे-अच्छे पकवान खाऊँगी। सभी से सेवा करवाऊँगी। मैने भी तो पहले कितना किया उनसभी के लिए। भारी महँगी साडी के बदले, दो तीन सस्ती साडियाँ माँग लूँगी।निला कि ये सोंच बस सोंच रह गई और उसे कोई न्यौता तक नहीं मिला। आज निला बीमार है और उसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं। राशन की दुकान पर मिलने वाले मोटे चावल कोई दे जाता है उसे। वही बनाकर एक समय खा लेती है और सोंचती है कि जिंदगी जीने में किन किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए।।। #aestheticthoughts #ankbyat #हिंदीदिवस #paidstory