White एक पल ठहर जाते, काश! वो लम्हें फिर से लौट आते..! न रहते यूँ तन्हा हम तुम बिन, न ही ख़ुद को ग़म में डुबाते..! यादों की कश्ती थी दरिया में हमारी, लहरों संग हम भी वफ़ा निभाते..! सुख के सागर में तैरते हरपल, न फिर आँसुओं से मन को भिगाते..! ज़िन्दगी का सफ़र यूँ तो, चलते चलते थम ही जाना है..! क्यों न खुशियों के मधुर गीत, रहते हम भी गाते गुनगुनाते..! चर्चे होते हमारे या छपते पर्चे सुर्ख़ियों वाले, अपने हिस्से के किस्से हम भी सुनाते..! ©SHIVA KANT(Shayar) #kash