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हम लाख नियंत्रण करें, होंठ से बोल निकल जाते हैं, ब

हम लाख नियंत्रण करें, होंठ से बोल निकल जाते हैं,
बेशक रहते मौन, नैन सब राज़ उगल जाते हैं।
प्रीति पगी ये मोड़ ही ऐसी, गुजरे जो भी इधर से,
संभल -संभल कर चलते, फिर भी लोग फिसल जाते हैं।।

©Mukesh Meet
  #जब भी चलना#संभल के चलना#
mukeshmeet9949

Mukesh Meet

New Creator

#जब भी चलनासंभल के चलना# #कविता

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