सागर की लहरों की तरह मच रही ज़िंदगी में उथल पुथल। ज्वार भाटे की तरह आते रहें ,अनवरत रूप से उतार चढ़ाव। डगमगा रही ज़िन्दगी की कश्ती,डूबाने को बेताब है उफान। ठहरा नहीं जाता किनारों पर भी, उड़ा रहा वहां भी तूफान। स्वर गूंज रहा उफनती लहरों के,मच रहा किनारों पर सोर। चारो तरफ छाएं गमों के बादल, होती नही खुशियों की भौंर। फंस रही कश्ती ज़िंदगी के भंवर में,किनारे बन रहे बेखबर। झेल रही कश्ती मुश्किलें, तूफानों में टूटी पतवारों के सहारे। #Nojoto उफनती लहरें