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बन शुभ-मित्र हमारे, व्योम ने दी सोंच अलग एकाग्र सो

बन शुभ-मित्र हमारे, व्योम ने दी सोंच अलग
एकाग्र सोंच,सन्त व्यवहार,शीतल वाणी से कर,सबको तर
चक्षु से अपने विदीर्ण कर, ओछी सोंच की परत
व्योम सम् तू ऊँचा बन ,सार्थक कर अपना जनम।

©virutha sahaj
  #प्रेरणा के स्त्रोत

#प्रेरणा के स्त्रोत #कविता

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