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एक कवि का ठिकाना उसकी कविता या नज्म के सिवा और क्य

एक कवि का ठिकाना उसकी कविता या नज्म के सिवा और क्या हो सकता है भला। सुनिए अमित कुमार ग्वाल  किन शब्दों में अपने इस ठिकाने को बयां कर रहे हैं। बोलते पन्ने कविता श्रृंखला की चौथी कविता हाजिर है ... ‘मेरा ठिकाना’। आप भी अपनी कविताएं हमें भेज सकते हैं ... Amitkmr Gwal
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Bolte Panne

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एक कवि का ठिकाना उसकी कविता या नज्म के सिवा और क्या हो सकता है भला। सुनिए अमित कुमार ग्वाल किन शब्दों में अपने इस ठिकाने को बयां कर रहे हैं। बोलते पन्ने कविता श्रृंखला की चौथी कविता हाजिर है ... ‘मेरा ठिकाना’। आप भी अपनी कविताएं हमें भेज सकते हैं ... @Amitkmr Gwal

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