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मैं भीतर तक का हूँ मुसाफ़िर और तुम खोखले ठहरे जो तु

मैं भीतर तक का हूँ मुसाफ़िर और तुम खोखले ठहरे
जो तुमको पूरा करने में गुम और तुम कहो बावले ठहरे
.
ख़ुद हो क़ीमत पर तो बाज़ार में शर्म की जरूरत क्या
जम के ख़ुद को लुटाते रहे बाज़ार भाव के मामले ठहरे
.
जो निभाने की बात करते हैं वे दुनिया का इतिहास पढ़ें
किन मौक़ों पे कौन से रसिया कहाँ कितने सांवले ठहरे
.
जाने कौन किसको कब तक कितना पहचानता होगा
मैं मुस्कुराता रहता हूँ और तुम कि लबों पे ताले ठहरे
.
 मामले ठहरे
मैं भीतर तक का हूँ मुसाफ़िर और तुम खोखले ठहरे
जो तुमको पूरा करने में गुम और तुम कहो बावले ठहरे
.
ख़ुद हो क़ीमत पर तो बाज़ार में शर्म की जरूरत क्या
जम के ख़ुद को लुटाते रहे बाज़ार भाव के मामले ठहरे
.
जो निभाने की बात करते हैं वे दुनिया का इतिहास पढ़ें
किन मौक़ों पे कौन से रसिया कहाँ कितने सांवले ठहरे
.
जाने कौन किसको कब तक कितना पहचानता होगा
मैं मुस्कुराता रहता हूँ और तुम कि लबों पे ताले ठहरे
.
 मामले ठहरे