Nojoto: Largest Storytelling Platform

छंद: चंद्रशेखर आजाद मापनी- 221 2122 221 2122 आजा

छंद: चंद्रशेखर आजाद 
मापनी- 221 2122 221 2122

आजाद चंद्र शेखर  फिर  से धरा  पधारो।
दुश्मन बढ़े यहाँ फिर आकर उन्हें सँहारो॥

दुर्भाग्य  है  हमारा  तुमसा  न  वीर  भू पर।
सूरत बदल बदल फिर से घूमते हैं'विषधर॥

गोरे  चले  गए  पर  है  नीतियाँ  उन्हीं  की।
सरकार आज भी चलती चाल दुश्मनों सी॥

बद राजनीति होती नेता यहाँ सिखाते।
अंग्रेज जो  न लूटे  नेता जी' लूट खाते॥

आजाद तुम गगन से हैरान मत निहारो।
ले मंडली स्वयं की फिर से धरा पधारो

©दिनेश कुशभुवनपुरी
  #कविता #छंद #चंद्रशेखर #आजाद

कविता छंद चंद्रशेखर आजाद

322 Views