पावर के लिए लड़ते लोग कुर्सी के लिए झगड़ते लोग अपनो के सर पांव रखकर बेशर्मी से, बढ़ते लोग कोई रिश्ता खरा नही है इंसानियत से भरा नहीं है मौका मिलने की देरी है कोई किसी का जरा नही है षड्यत्रो का दौर चल रहा जिसको देखो वो ही छल रहा ऐसे कर, क्या पा जाओगे बची खुची से भी जाओगे बचो जरा तुम अहंकार से कुछ भी ना आनी जानी है खाली मुट्ठी आए थे तुम खाली ही फिर जानी है व्यवहार तुम्हारी पूंजी और प्रेम तुम्हारा खजाना है जिसको जितना बाटोगे वो ही सिर्फ संग जाना है © Rajesh Sharma पावर के लिए लड़ते लोग