Nojoto: Largest Storytelling Platform

एकरूपये का मैंआदमी,लाख रूपये का मेरा परिवार। एक कर

एकरूपये का मैंआदमी,लाख रूपये का मेरा परिवार।
एक करोड़ रूपये  का है,फिर भी मेरे सिर पर उधार।।
मैं एक रूपये.....
ना खाया गुटका तंबाखू,ना पी है कभी बीड़ी सिगरेट।
ना देसी पी ना  इंगलिश, ना मीट खाया ना आमलेट।
ना जुआ खेला ना सट्टा, ना खेला कभी शेयर बाजार।
एक करोड़....
दिन दूना रात चौगुना, बढ़ता जाए  ये चक्रवर्ती ब्याज।
घर बेचूं या खुदको बेचूं, फिर भी नही इसका इलाज।।
पैसे लेने वाले आते है, मेरे घर पर  दिन रात बार बार।
एक करोड़.....
फटे जूते फटे कपड़े मेरे, देखो फटा हुआ है मेरा हाल।
कर्ज के बोझ से देखो मेरे उड़ गए सिर  के सारे बाल।।
टूटा फूटा घर है मेरा,टूटी फूटी ही मेरे घर की दीवार। । 
एक करोड़....
जीते जी ना कर्ज उतरे मुझसे, खाके कैसे मर जाऊं।
क्या करू क्या ना करू मैं , किसको कैसे मैं बताऊं।।
सौ बरस जीना पड़े चाहे, जाऊंगा मैं पाई पाई उतार।
एक करोड़....
एक रूपये का...

©RAVI ARSHAAN
  #Suicide  Dr.UMESH ARSHAAN zarina Martin