आंख मीच मग सूझ न जाई ताहें अनंत मिले किम भाई।। 2. एह नेत्रो मेरिओ हर तुम मैं जोत धरी हर बिन अवर न पेखो कोई नदरी हर निहालेया।। अर्थ:- आंख बंद करके तो चलने वाले को रास्ता भी नहीं दिखता फिर आँख बंद करके ध्यान करने वाले को बिना देखे निराकार प्रकाश के दर्शन कैसे होंगे? 2. है मेरे नैनो में बसे मन इन शरीरिक नेत्रों में रब ने अपना प्रकाश यानी जोत भरी है इनके द्वारा तुम सिर्फ खाली स्पेस में बैठे निराकार प्रकाश को ही देखो और देख देख कर निहाल होते रहो।। ©Biikrmjet Sing #नेत्र