Nojoto: Largest Storytelling Platform

"बूढ़ी अम्मा'' दुबला सा तन, बोझिल जीवन, लकुटी गठरी

"बूढ़ी अम्मा''

दुबला सा तन, बोझिल जीवन,
लकुटी गठरी बस दो साथी।
थी विकट ठंड मन तक ठिठुरन,
लँगड़ा लँगड़ा वो चल पाती,
सूखी काया की सिकुड़न बटुरन,
देख के उनपे दया आती।
गाल पिचक के सिमटे थे,
लगता है किस्मत रूठी थी।
पेट- पीठ में चिपका था,
शायद कुछ दिन से भूखी थी।
पुलिया के नीचे नुक्कड़ पे,
लाठी रखके वो बैठ गयी....
बूढ़ी अम्मा..... #nojoto#poetry#बूढ़ीअम्मा.....
"बूढ़ी अम्मा''

दुबला सा तन, बोझिल जीवन,
लकुटी गठरी बस दो साथी।
थी विकट ठंड मन तक ठिठुरन,
लँगड़ा लँगड़ा वो चल पाती,
सूखी काया की सिकुड़न बटुरन,
देख के उनपे दया आती।
गाल पिचक के सिमटे थे,
लगता है किस्मत रूठी थी।
पेट- पीठ में चिपका था,
शायद कुछ दिन से भूखी थी।
पुलिया के नीचे नुक्कड़ पे,
लाठी रखके वो बैठ गयी....
बूढ़ी अम्मा..... #nojoto#poetry#बूढ़ीअम्मा.....