मीठी तरन्नुम से हो तन्हा आलम मे भी सुकु-ए-परस्ती से हो बीते लम्हों मे खुशनुमा किस्त से हो, मेरी हर बज़्म में तुम बेपरवाह इश्क से हो, क्या चुराएगी कायनात तुम्हे मुझसे, मेरे हर ज़र्रे ज़र्रे में नूर से तुम हो। ♥️ Challenge-986 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।