ज़िन्दगी इम्तेहां हो गयी अब आ भी जाओ, इन्तेहां हो गयी कुक दिन पहले ही तो जगाया था किस्मत को मैंने तुम जो दूर गए हो ये न जाने कहाँ सो गई तुम्हारे आगे तो अब फीके है ये नज़ारे चाँद सितारे मानो न मानो... तुम नूर-ऐ-जहाँ हो गयी अब आ भी जाओ, इंतेहा हो गयी ©Deepak Goyal #datingthepoet #findingyourself