उसके महलों के गुंगे सन्नाटे बताते है, लोग एसे भी जिनके शाही पाख़ाने है एक कमरा लेने आए थे वो शहर में, जिसने कमा लिया फिर एसे लुटाते है, जिनकी बेबस रातें बस भूखी सोती है पूछो तो उनकी सुबह कैसी होती है, वो किस तरह पूरा दिन बिताते है? जिसने कमा लिया फिर एसे लुटाते है, शिकायतें तो उसने भी पाली थी तमाम, मजलूमों की गली से वो गुजरे एक शाम, अब अपने बेकद्र मसलों पे हस जाते है, जिसने कमा लिया फिर एसे लुटाते है ।। #hindishayari #rich #classism #hindi