बचपना माँ मेरा बचपना फिर से ला दो मेरे प्यारे दिन फिर से लौटा दो जहाँ बोलने पर न किसी की कसीसे होती थी और हसने पर न किसी कि बंदीसे होती थी माँ मेरा बचपना फिर से ला दो मेरे हँसने पर पुरे घर कि खुशी मेरे तोतलाकर बोलने पर पुरे घर कि हंसी मां वो हँसी फिर से ला दो माँ मेरा बचपना फिर से ला दो मेरे दादी अम्मा कि नकल उतारने पर दादी का प्यार से डांटना माँ वो डांट मुझे फिर से ला दो माँ मेरा बचपना फिर से ला दो ©sweta Bharti #poem#bachpankedin #LostInNature