तन्हाई में आसमां से गुफ़्तुगू कर लेता हूँ। मैं अपनी चाहत की जुस्तुजू कर लेता हूँ। (01) सितारों की भीड़ में मिल जाएगा मुझे! मैं उसको छूने की आरज़ू कर लेता हूँ। (02) तेरी अंजुमन में ज़िन्दगी बसर कर लूँगा! मेरी ख़्वाहिश की पूरी क़सर कर लूँगा। (01) मुझको मजलिस बस तेरे इश्क़ की है! दुनिया से तर्क़-ए-त'अल्लुक़ कर लूँगा। (02) तन्हाई में आसमां से गुफ़्तुगू कर लेता हूँ। मैं अपनी चाहत की जुस्तुजू कर लेता हूँ। (01) सितारों की भीड़ में मिल जाएगा मुझे! मैं उसको छूने की आरज़ू कर लेता हूँ। (02) तेरी अंजुमन में ज़िन्दगी बसर कर लूँगा!