दूर से ही ललकारता , "कौन ?" मै जवाब देता, "दोस्त । " और पल भर को बैठ जाता उसकी ठंढी छाँव में दरअसल शुरू से ही था हमारे अन्देशों में कहीं एक जानी दुश्मन हिरोशिमा