मैने कहा, मुझे बनना है बुद्ध, जिससे...मै, छोड़ सकूँ जीवन की विरह वेदनाओं को, तृष्णा..मोहपाश..को, मै जाना चाहती हूँ वन गमन को, जिससे...मै, देख सकूँ दूर क्षितिज पर, आलिंगन करते धरती आकाश को, उसने कहा...नही, तुम ऐसा करो, तुम बनो सीता, कर्तव्य परायण..धर्म परायण पतिव्रता, जिसकी ली जा सके, अग्निपरीक्षा..।। #अग्निपरीक्षा मैने कहा, मुझे बनना है बुद्ध, जिससे...मै, छोड़ सकूँ जीवन की विरह वेदनाओं को, तृष्णा..मोहपाश..को, मै जाना चाहती हूँ वन गमन को,