बारिश जहाँ की हमने मोहब्बत की , अफसोस वो बंजर ज़मीं थी ..... वो तो मुस्कुरा रहे थे जनाब , आखों में तो हमारी नमीं थी ..... भुला देंगे उसको इस कदर , जैसे लगे कभी ना हमें उसकी कमी थी ..... और कपड़े उतारती होगी मोहब्बत तुम्हारी , हमारी मोहब्बत तो लिबास में ढकी थी×2..... ©Khamosh Alfaaz ( Rinki ) #khamoshalfaaz#mohabbat#barish#forget#love#sad