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मैं मनाऊं , वो रूठ जाती है, पास रहकर भी वो दूर जात

मैं मनाऊं , वो रूठ जाती है,
पास रहकर भी वो दूर जाती हैं
कहती हैं , कोई शिकवा शिकायत नहीं उसको,
फिर भी देखकर हमको नजर हटाती है, ।
ना जाने कौन सी उलझन  में उलझी वो,
दिल के राज हमसे छिपाती है ।

©Dayal "दीप, Goswami.. Yogendra Nath Yogi ram singh yadav Sethi Ji Diwan G -hardik mahajan Raja Yadav