आंसू पोछ के हसना सीखा दे, जो मुसाफिर को राह दिखा दे, प्यासे को पानी पिला के, भूखे को खाना खिला दे, मुसीबत मे साथ देके, समय को अपने कदमो मे झुका दे, सच्ची इबादत तो हो तब, जब इंसानियत देख किसी इंसान की, जब खुदा भी मुस्कुरा दे!! आंसू पोछ के हसना सीखा दे, जो मुसाफिर को राह दिखा दे, प्यासे को पानी पिला के, भूखे को खाना खिला दे, मुसीबत मे साथ देके, समय को अपने कदमो मे झुका दे, सच्ची इबादत तो हो तब, जब इंसानियत देख किसी इंसान की,