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शहरे दिल में आया हूँ मैं तेरी राहों में चला आता हू

शहरे दिल में आया हूँ मैं
तेरी राहों में चला आता हूँ मैं
तेरे साथ होना चाहता हूँ मैं
पर तेरे काबिल नहीं होता हूँ मैं

तेरी दुनिया में खुशी ढूंढता हूँ
पर मेरा इस शहर से कोई नाता नहीं है
तेरी बातों में मगन रहता हूँ
पर तेरे दिल का रास्ता नहीं है

मैं अकेला हूँ इस शहर में
तेरे बिना जीवन बेकार है मेरा
तुमसे मिलना चाहता हूँ मैं
पर मेरा इस शहर में कोई काबिल नहीं है

शहरे दिल में दाखिल होना था मेरा किस्मत में
तेरे साथ होकर जीना था मुझे
लेकिन तेरे काबिल नहीं होता हूँ मैं
क्योंकि मेरी दुनिया कुछ और होती है

©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )
  शहरे दिल सें आया हूँ मैं...........

शहरे दिल सें आया हूँ मैं........... #कविता

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