Nojoto: Largest Storytelling Platform

सुबह सुबह की बात थी, रात को हुई बरसात थी । दिल्ली

सुबह सुबह की बात थी, रात को हुई बरसात थी ।
दिल्ली की व सर्दी थी ,कोहरा अभी छटा नहीं थी ।

मेट्रो का सफर था ,भीड़ बड़ा जबरदस्त था ।
मुंह उसका ढका था, टोपा भी पहना था ।

हाथ में मोबाइल था, नजर का चस्मा उसने लगाया था ।
जना पहचाना सकल था , पर नजर नहीं आ रही थी ।

दूर मुझ से खड़ा था, चिंता में वह परा था ।
याद करने की कोशिश कर रहा था पर याद नहीं आ रहा था।

जैसे से  ही मुड़ा मेरी ओर , चेहरा नजर आया 
देख के उसको बचपन याद आगया  ।
था वह मेरे बचपन का लंगोटिया यार
हुई उस से मुलाकात , फिर हुई बड़ी लम्बी बात ।
                                 -Azad ताहिर #Vo_karib_aaye #january #nojotoenglish #poem
सुबह सुबह की बात थी, रात को हुई बरसात थी ।
दिल्ली की व सर्दी थी ,कोहरा अभी छटा नहीं थी ।

मेट्रो का सफर था ,भीड़ बड़ा जबरदस्त था ।
मुंह उसका ढका था, टोपा भी पहना था ।

हाथ में मोबाइल था, नजर का चस्मा उसने लगाया था ।
जना पहचाना सकल था , पर नजर नहीं आ रही थी ।

दूर मुझ से खड़ा था, चिंता में वह परा था ।
याद करने की कोशिश कर रहा था पर याद नहीं आ रहा था।

जैसे से  ही मुड़ा मेरी ओर , चेहरा नजर आया 
देख के उसको बचपन याद आगया  ।
था वह मेरे बचपन का लंगोटिया यार
हुई उस से मुलाकात , फिर हुई बड़ी लम्बी बात ।
                                 -Azad ताहिर #Vo_karib_aaye #january #nojotoenglish #poem