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छूट ही जाते है बन्धन, कितना भी कर लो जतन, छुपाए न

छूट ही जाते है बन्धन, 
कितना भी कर लो जतन,
छुपाए नहीं छुपती, लगी हो 
जब, प्रीत की अगन, 

दूर है वो बहुत,
 जिसको पाने को मेरा मन है तरसा,
आज भी जेहन में, चेहरा है
 उसका, बीत गया अरसा, 

ना जाने क्यों, हरेक कहानी में,
 मैं उसको, जीता हूँ,
उसकी, अपनी कहानी के, 
अन्त में, खुद, से मिलाता हूं, 

अगर मिल जाए तो फिर 
वो प्यार ही कैसा.....?
नियती की इस तहरीर पर,
 अपने को समर्पित करता जाता हूँ।

©आगाज़
  #SunSet  aditi the writer Amit Pandey Niaz (Harf) Kamaal Husain Senty Amarjit