जिससे सुनने की उम्मीद न थी उसने सुना दिया भ्रष्टाचार के फरिश्तों ने क्या गजब गुनाह किया शत शत प्रणाम करता हूँ उन फरिश्तों के नाम को जो सुन न सके, उसको कान का डॉक्टर बना दिया