संस्कार की बहती गंगा अनुशासन के चंद्र शिवालों से सहजता का गुण सार मिला है जीवन के गूढ सवालों से भव सागर की नौका जिनके ही ऊंचे कंधो पर चलती है अज्ञानता की जो भूख मिटा दे ज्ञान के मूल निवालों से #Gurupurnima #गुरू_पूर्णिमा #गुरु