खुले आसमां से कभी ये आजमाईश करती, कि मैं भी एक पंछी होती, अपने पंखों को खोल बिना किसी बंदिश के, वादियों की सैर कर आती, पर जलन होती है मुझे उनसे, क्योंकि बंदिशो के दायरों में जकड़ी हुई एक "इंसान हूँ मैं" मेरे अल्फाज़ (मेधा भारद्वाज) ©Medha Bharadwaj #nojotowriters #nojotowritersclub #fly #Birds #flyhigh