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राहत इंदौरी जी

राहत इंदौरी जी                                
                                           



कमबख्त कह गये हमसे सलीखा नहि हसि का ! 
जार जार हो चुके हो चेहरा अब नही दीखता  दिलनसी का ! #राहत #इंदौरी G

bahot se hinduo ko islam dhrm pasand to hota he lekin apnate nhi he kyoki koi mazhb bura nhi hota bura hota he logo ka krm manusy ki koi jat/dharm nhi sabh ek he .



धर्म या मज़हब से तुम इंसान होकर  भी इक दूसरे को अधूरा बना रहे हो . क्या सोचकर बनाया होगा इन धर्म के ग्रंथो को की हर मज़हब सामान बनना कोई गुन्हा तो .......
राहत इंदौरी जी                                
                                           



कमबख्त कह गये हमसे सलीखा नहि हसि का ! 
जार जार हो चुके हो चेहरा अब नही दीखता  दिलनसी का ! #राहत #इंदौरी G

bahot se hinduo ko islam dhrm pasand to hota he lekin apnate nhi he kyoki koi mazhb bura nhi hota bura hota he logo ka krm manusy ki koi jat/dharm nhi sabh ek he .



धर्म या मज़हब से तुम इंसान होकर  भी इक दूसरे को अधूरा बना रहे हो . क्या सोचकर बनाया होगा इन धर्म के ग्रंथो को की हर मज़हब सामान बनना कोई गुन्हा तो .......

#राहत #इंदौरी G bahot se hinduo ko islam dhrm pasand to hota he lekin apnate nhi he kyoki koi mazhb bura nhi hota bura hota he logo ka krm manusy ki koi jat/dharm nhi sabh ek he . धर्म या मज़हब से तुम इंसान होकर भी इक दूसरे को अधूरा बना रहे हो . क्या सोचकर बनाया होगा इन धर्म के ग्रंथो को की हर मज़हब सामान बनना कोई गुन्हा तो .......