कयामत की रात से लड़ते हुए जल रहा हूँ बेतहाशा इक मुस्कुराहट बचाते हुए आखरी वक़्त है और बांहों में उसके सो राख होते जा रहे है रोशन करते हुए आखिरकार वो पल आ ही गया इम्तहान देते हुए उसके सांसों में सुलग पा रहा हूँ मुकाम मैं भी इश्क करते हुए अब ख़ामोशी भी खूब शोर करेगी मेरी ग़ज़ले पढ़ते हुए बुझ रहा हूँ मैं आहिस्ता आहिस्ता उसके लब को चुमते हुए । #yqdidi ##Kunalpoetry #kamila_writes #dotch #gajal_ek_sher #kunu #burningheart