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आधुनिकता की दौड़ में गाँव भी शहर हो गये।। खपरैल के

आधुनिकता की दौड़ में गाँव भी शहर हो गये।।
खपरैल के बने मकान आज पक्के हो गये
आधुनिकता की दौड़ में गाँव भी शहर हो गये।
डाबर से बने रास्ते हैं अब हर तरफ, 
धूल से भरे रास्ते जाने कहाँ खो गये।
आधुनिकता की दौड़ में गाँव भी शहर हो गये।।
हर कूआँ सूखा पड़ा हर घर मे समर हो गये।
चौपालें वीरान हैं सब कैद घरों में हो गये। 
आधुनिकता की दौड़ में गाँव भी शहर हो गये।।

#अंकित सारस्वत# #गाँव भी शहर हो  गये
आधुनिकता की दौड़ में गाँव भी शहर हो गये।।
खपरैल के बने मकान आज पक्के हो गये
आधुनिकता की दौड़ में गाँव भी शहर हो गये।
डाबर से बने रास्ते हैं अब हर तरफ, 
धूल से भरे रास्ते जाने कहाँ खो गये।
आधुनिकता की दौड़ में गाँव भी शहर हो गये।।
हर कूआँ सूखा पड़ा हर घर मे समर हो गये।
चौपालें वीरान हैं सब कैद घरों में हो गये। 
आधुनिकता की दौड़ में गाँव भी शहर हो गये।।

#अंकित सारस्वत# #गाँव भी शहर हो  गये