तब तो बस उसके साय में, जीने की इच्छा थी, बाकी ख्वाहिशे तो हमने, जाने कब की मार दी थी, फिर एक हमदर्द ने कहा, कि अक्सर साये अंधेरो में, साथ छोड़ दिया करते हैं। ~रजत #deaninside