ऐसी लागि लगन जब से हरी से प्रीत लगी बिसरी जग उम्मीद जगी सांझ सुबह का बोध नहीं अब हर हार भी मोहे जीत लगी ।। #nojotohindi#लगन#हरी#preet#kavita#poetry