पत्थर के बाजार मैं शीशे की दुकान लगाएं बैठे हैं दिल में वह अपने कहीं राज दबाए बैठे जिन्हें चाहा था हमने दिल से वह किसी और के नाम की मेहंदी अपने हाथों में सजाए बैठे है मेहंदी प्यार वाली