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Impossible क्या कहें कि ये हालात और जज़्बात मेरे

Impossible  क्या कहें कि ये हालात और जज़्बात मेरे अब बस में नहीं।
मुझे नहीं यकीं औरों से सुना है कि तू है जहां मैं भी हूं वहीं।।
मेरी हस्ती को मिटा डाला बस एक एहसास ने तेरे।
हां तेरी यादों के सिवा दिल में मेरे अब कुछ भी नहीं।।

©Brij Mohan Singh क्या कहें कि ये हालात और जज़्बात मेरे अब बस में नहीं।
मुझे नहीं यकीं औरों से सुना है कि तू है जहां मैं भी हूं वहीं।।
मेरी हस्ती को मिटा डाला बस एक एहसास ने तेरे।
हां तेरी यादों के सिवा दिल में मेरे अब कुछ भी नहीं।।
Impossible  क्या कहें कि ये हालात और जज़्बात मेरे अब बस में नहीं।
मुझे नहीं यकीं औरों से सुना है कि तू है जहां मैं भी हूं वहीं।।
मेरी हस्ती को मिटा डाला बस एक एहसास ने तेरे।
हां तेरी यादों के सिवा दिल में मेरे अब कुछ भी नहीं।।

©Brij Mohan Singh क्या कहें कि ये हालात और जज़्बात मेरे अब बस में नहीं।
मुझे नहीं यकीं औरों से सुना है कि तू है जहां मैं भी हूं वहीं।।
मेरी हस्ती को मिटा डाला बस एक एहसास ने तेरे।
हां तेरी यादों के सिवा दिल में मेरे अब कुछ भी नहीं।।