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आज़ाद अपने में मगन, पढ़ता लिखता सम्मानित बेटा, चुपचा

आज़ाद अपने में मगन, पढ़ता लिखता सम्मानित बेटा,
चुपचाप अपने ही घर में खामोशियों से लिपटी बेटी,
अपने दादी का दुलारा, पापा की पहचान बताता बेटा,
मां के साथ काम में हाथ बटाती, घर को सवारती बेटी,
सुबह स्कूल जाने के लिए तैयार, बाल बनाता, बस्ता उठाता बेटा,
उसके जूते, टिफिन और टाई हाथ में लिए दरवाजे पर खड़ी बेटी,
दादी की गोद में बैठा वीडियो गेम खेलता खिलखिलाता बेटा,
माँ से भाई की तरह कॉपी, पेंसिल, कपड़े बॉल मांगती बेटी,
फ़र्क करती बेटे को दुलारती, बेटी को फटकारती दादी,
पापा की गोद में बैठकर उनसे खिलौनों की फरमाइश करते बेटा,
दूर हाथ में पानी का गिलास लिए खड़ी, जूतों की तरफ निहारती बेटी,
उसके अपने घर से ही एक अलगाव का एहसास कराता,
और समाज़ का यही नियम बताता पिता,
बेटी के आंशू पोछती अपने आँचल में छुपाती माँ भी मौन है,
समाज़ है, परिवार है, या अशिक्षा है आख़िर वजह कौन है..???

©Vishakha Tripathi
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